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Khud Ko Kis Tarha Mitaon Hindi Sad Poem By Dr. Bishwa Mohan Acharya


ख़ुद को कैसे मिटाऊं

ऐ ग़मे दिल हक़ तुझे मैं क्या बताऊँ
बेजान तेरा नक़्श को मैं क्या सुनाऊं।

सिर्फ नफ़स है बेजान ज़िंदगी मे यहां
दीदा-ए-हैरां में गिरिया कैसे दिखाऊं।

नाला-ओ-फ़रीयाद करते है दरे यार में
ऐ उश्शाक़ तुझ से मैं अब क्या छुपाऊँ।

बिस्मिल मुर्गे-चमन बना ग़मे-फ़ुर्क़त में
जिगर-अफ़गार में तुझे मैं कैसे बिठाऊँ।

रुख्सत हो गई रूठ कर तूं ज़ेरे-कफ़न में
ऐ काफ़िरे-बदकेश ख़ुद को कैसे मिटाऊं।


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